शुक्रवार, 30 मई 2025

सम्पूर्ण बायोकेमिक औषधियाँ


4. Ferrum Phosphoricum (Iron Phosphate)

प्रकृति: गर्म, सूजन प्रधान, रक्त की प्रथम अवस्था में प्रभावी।

चारित्रिक लक्षण: चटपटाने वाला ज्वर, सर्दी-जुकाम की प्रारंभिक अवस्था, रक्तस्राव, चोट या आघात के तुरंत बाद।

सामान्य लक्षण: हल्का बुखार, गुलाबी चेहरा, कमज़ोरी, सिरदर्द, सर्दी के पहले चरण में नाक से पानी आना।

समवर्ती लक्षण: जल्दी थक जाना, चिड़चिड़ापन, नाड़ी तेज़।

अकाट्य लक्षण: रक्तहीनता के पूर्व लक्षण, मांसपेशीय पीड़ा बिना स्पष्ट कारण के।

ह्वास-वृद्धि: बढ़ती उम्र, चोट, थकावट में लक्षण बढ़ते हैं। आराम, विश्राम, और ठंडा पेय राहत देता है।

रोग-संकेत: चोट, सर्दी की शुरुआत, बुखार का आरंभ, एनीमिया की पूर्व अवस्था, सांस की तकलीफ़।

तुलनात्मक औषधियाँ: Belladonna, Aconite, Gelsemium।

प्रयोग-विधि: 3x शक्ति में दिन में 3–4 बार।

ज्योतिषीय सम्बन्ध: मंगल (रक्त), सूर्य (ऊर्जा), मेष व सिंह राशि।

त्रिदोष: मुख्यतः पित्त दोष; आंशिक वात और कफ।

सावधानियाँ: तीव्र लक्षणों में सीमित समय तक प्रयोग करें, अनावश्यक लंबी अवधि तक नहीं।


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5. Kali Muriaticum (Potassium Chloride)

प्रकृति: ठंडी, कफ प्रधान, म्यूकस जमाव की स्थिति में उपयोगी।

चारित्रिक लक्षण: सफेद/सफेद मोटा बलगम, ग्रंथियों में सूजन, थूक या बलगम जम जाना।

सामान्य लक्षण: जीभ पर सफेद कोटिंग, कानों में जकड़न, ठंड के कारण कफ।

समवर्ती लक्षण: कान बहना, टॉन्सिल की सूजन, फेफड़ों में जकड़न।

अकाट्य लक्षण: बलगम के कारण रुकावटें, ग्रंथि रोग।

ह्वास-वृद्धि: ठंडी हवा, वसायुक्त भोजन से कष्ट बढ़ता है; गर्म पेय से राहत।

रोग-संकेत: टॉन्सिलाइटिस, ब्रोंकाइटिस, साइनस, गले में बलगम जमना।

तुलनात्मक औषधियाँ: Calc. Sulph., Kali Sulph., Pulsatilla।

प्रयोग-विधि: 6x शक्ति में दिन में 3–4 बार।

ज्योतिषीय सम्बन्ध: चंद्रमा (श्लेष्मा), कर्क राशि।

त्रिदोष: मुख्यतः कफ दोष।

सावधानियाँ: जमे बलगम में ही उपयोगी; सूखी अवस्था में नहीं।


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6. Kali Phosphoricum (Potassium Phosphate)

प्रकृति: शीतल, मानसिक थकावट में हितकारी।

चारित्रिक लक्षण: मानसिक थकान, स्मृति दुर्बलता, कमजोरी, अनिद्रा।

सामान्य लक्षण: चिड़चिड़ापन, अवसाद, मानसिक तनाव के बाद कमजोरी।

समवर्ती लक्षण: पाचन मंद, भूख की कमी, सुस्ती।

अकाट्य लक्षण: मानसिक कार्यों के बाद थकावट, नींद न आना, हृदय की घबराहट।

ह्वास-वृद्धि: मानसिक श्रम, उत्तेजना से लक्षण बढ़ते हैं; विश्राम से राहत।

रोग-संकेत: डिप्रेशन, अनिद्रा, नर्वस ब्रेकडाउन, परीक्षा की थकान।

तुलनात्मक औषधियाँ: Gelsemium, Ignatia, Nux Vomica।

प्रयोग-विधि: 6x शक्ति में दिन में 3 बार।

ज्योतिषीय सम्बन्ध: बुध (मस्तिष्क), मिथुन व कन्या राशि।

त्रिदोष: मुख्यतः वात दोष; आंशिक पित्त।

सावधानियाँ: नींद की अत्यधिक दवा ले रहे हों तो सावधानी रखें।

4. Ferrum Phosphoricum (Iron Phosphate)

प्रकृति: गर्म, सूजन प्रधान, रक्त की प्रथम अवस्था में प्रभावी।

चारित्रिक लक्षण: चटपटाने वाला ज्वर, सर्दी-जुकाम की प्रारंभिक अवस्था, रक्तस्राव, चोट या आघात के तुरंत बाद।

सामान्य लक्षण: हल्का बुखार, गुलाबी चेहरा, कमज़ोरी, सिरदर्द, सर्दी के पहले चरण में नाक से पानी आना।

समवर्ती लक्षण: जल्दी थक जाना, चिड़चिड़ापन, नाड़ी तेज़।

अकाट्य लक्षण: रक्तहीनता के पूर्व लक्षण, मांसपेशीय पीड़ा बिना स्पष्ट कारण के।

ह्वास-वृद्धि: बढ़ती उम्र, चोट, थकावट में लक्षण बढ़ते हैं। आराम, विश्राम, और ठंडा पेय राहत देता है।

रोग-संकेत: चोट, सर्दी की शुरुआत, बुखार का आरंभ, एनीमिया की पूर्व अवस्था, सांस की तकलीफ़।

तुलनात्मक औषधियाँ: Belladonna, Aconite, Gelsemium।

प्रयोग-विधि: 3x शक्ति में दिन में 3–4 बार।

ज्योतिषीय सम्बन्ध: मंगल (रक्त), सूर्य (ऊर्जा), मेष व सिंह राशि।

त्रिदोष: मुख्यतः पित्त दोष; आंशिक वात और कफ।

सावधानियाँ: तीव्र लक्षणों में सीमित समय तक प्रयोग करें, अनावश्यक लंबी अवधि तक नहीं।


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5. Kali Muriaticum (Potassium Chloride)

प्रकृति: ठंडी, कफ प्रधान, म्यूकस जमाव की स्थिति में उपयोगी।

चारित्रिक लक्षण: सफेद/सफेद मोटा बलगम, ग्रंथियों में सूजन, थूक या बलगम जम जाना।

सामान्य लक्षण: जीभ पर सफेद कोटिंग, कानों में जकड़न, ठंड के कारण कफ।

समवर्ती लक्षण: कान बहना, टॉन्सिल की सूजन, फेफड़ों में जकड़न।

अकाट्य लक्षण: बलगम के कारण रुकावटें, ग्रंथि रोग।

ह्वास-वृद्धि: ठंडी हवा, वसायुक्त भोजन से कष्ट बढ़ता है; गर्म पेय से राहत।

रोग-संकेत: टॉन्सिलाइटिस, ब्रोंकाइटिस, साइनस, गले में बलगम जमना।

तुलनात्मक औषधियाँ: Calc. Sulph., Kali Sulph., Pulsatilla।

प्रयोग-विधि: 6x शक्ति में दिन में 3–4 बार।

ज्योतिषीय सम्बन्ध: चंद्रमा (श्लेष्मा), कर्क राशि।

त्रिदोष: मुख्यतः कफ दोष।

सावधानियाँ: जमे बलगम में ही उपयोगी; सूखी अवस्था में नहीं।


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6. Kali Phosphoricum (Potassium Phosphate)

प्रकृति: शीतल, मानसिक थकावट में हितकारी।

चारित्रिक लक्षण: मानसिक थकान, स्मृति दुर्बलता, कमजोरी, अनिद्रा।

सामान्य लक्षण: चिड़चिड़ापन, अवसाद, मानसिक तनाव के बाद कमजोरी।

समवर्ती लक्षण: पाचन मंद, भूख की कमी, सुस्ती।

अकाट्य लक्षण: मानसिक कार्यों के बाद थकावट, नींद न आना, हृदय की घबराहट।

ह्वास-वृद्धि: मानसिक श्रम, उत्तेजना से लक्षण बढ़ते हैं; विश्राम से राहत।

रोग-संकेत: डिप्रेशन, अनिद्रा, नर्वस ब्रेकडाउन, परीक्षा की थकान।

तुलनात्मक औषधियाँ: Gelsemium, Ignatia, Nux Vomica।

प्रयोग-विधि: 6x शक्ति में दिन में 3 बार।

ज्योतिषीय सम्बन्ध: बुध (मस्तिष्क), मिथुन व कन्या राशि।

त्रिदोष: मुख्यतः वात दोष; आंशिक पित्त।

सावधानियाँ: नींद की अत्यधिक दवा ले रहे हों तो सावधानी रखें। 


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🔷 1. Kali Sulphuricum (काली सल्फ़्यूरिकम्)

हिन्दी नाम: पोटैशियम सल्फेट / गंधक युक्त पोटाश


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🔹 प्रकृति (Nature):

शरीर में एपीथीलियल कोशिकाओं (त्वचा व झिल्लियों) की मरम्मत करने वाला लवण।

त्वचा, श्लेष्मा-झिल्ली (mucous membrane) तथा अंदरूनी त्वचा जैसे कि फेफड़ों, आंतों, मूत्रनली की सतह को स्वस्थ बनाए रखने वाला।

रक्त में ऑक्सीजन के स्थानांतरण में सहायक।



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🔹 चारित्रिक लक्षण (Constitutional Traits):

हृष्ट-पुष्ट, गोरे, श्लेष्मा बहुल लोग।

रोगग्रस्त होने पर त्वचा से पीला, चिपचिपा, पतला स्राव निकलता है।

वातावरण में बदलाव या साँझ होते ही लक्षण बिगड़ते हैं।



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🔹 सामान्य लक्षण (General Symptoms):

साँस की तकलीफ़ जैसे अस्थमा जिसमें पीला, चिकना कफ निकलता है।

त्वचा रोग: खुजली, फोड़े-फुंसी जिसमें पीला, चिपचिपा मवाद हो।

रात को बुखार आना, विशेषतः साँझ के समय बुरा होना।

जुकाम जिसमें पीला स्राव, साथ में सिर दर्द।



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🔹 समवर्ती लक्षण (Concomitant Symptoms):

आँखों की पपोटियों पर पीलापन युक्त मवाद।

कान बहना (Otorrhoea) जिसमें पीला बदबूदार स्राव हो।

बाल झड़ना, विशेषतः रूसी के साथ।



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🔹 अकट्य लक्षण (Keynotes / Guiding Symptoms):

पीले, चिकने स्राव — यह इसका सबसे प्रमुख संकेत है।

शाम को या रात में लक्षण अधिक बढ़ते हैं।

त्वचा पर पुरानी चकत्तियाँ, फंगल संक्रमण।



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🔹 ह्वास-वृद्धि (Aggravation/Amelioration):

बिगड़ता है (Aggravation):

शाम के समय

गर्म कमरे में

बंद वातावरण में


सुधार होता है (Amelioration):

खुली ठंडी हवा में

ठंडे पानी से धोने पर




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🔹 रोग संकेत (Indications):

अस्थमा जिसमें पीला कफ आता है

त्वचा रोग: दाद, एक्ज़िमा, सोरायसिस

पीलिया जिसमें मल, मूत्र हल्का पीला व त्वचा का रंग पीला हो

डेंगू व वायरल के बाद की थकावट और त्वचा विकार

पुराने कान बहने वाले केस



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🔹 तुलनात्मक औषधियाँ (Comparative Remedies):

Ferrum Phos: शुरुआती अवस्था में सूजन, परन्तु कफ पीला न हो।

Calcarea Sulph: जब मवाद गाढ़ा व पीला हो और घाव भरने में देर लगे।

Natrum Sulph: कफ के साथ उदासी या अवसाद हो।



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🔹 प्रयोग विधि (Dosage & Use):

6X शक्ति में 3 से 4 गोली दिन में 3 बार।

त्वचा रोगों में लंबी अवधि तक प्रयोग किया जा सकता है।



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🔹 ज्योतिषीय सम्बन्ध (Astrological Correlation):

ग्रह: शनि (Saturn) — रोगों की जड़ से जुड़ा, त्वचा रोग और देर से ठीक होने वाली बीमारियाँ।

राशियाँ: मकर और कुंभ

नक्षत्र: शतभिषा व पूर्वाषाढ़ा — वात व कफ दोषयुक्त प्रकृति वाले।



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🔹 त्रिदोष सम्बन्ध (Dosha Relevance):

कफ (Psora): अधिक स्राव के साथ खांसी-जुकाम में

पित्त (Syphilis): त्वचा पर खुजली, फोड़े, जलन

वात (Psychosis): कम प्रभावी; विशेषतः श्लेष्मा आधारित रोगों पर क्रियाशील



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🔹 सावधानियाँ (Precautions):

बहुत अधिक गर्मी व उमस में प्रयोग करते समय सतर्क रहें।

तीव्र संक्रमणों में यदि सुधार न हो तो डॉक्टर की सलाह लें।

त्वचा पर बाहरी मरहम आदि के साथ प्रयोग करने से पहले चिकित्सा-परामर्श लें। 


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🔷 2. Magnesia Phosphorica (मैग्नीशिया फॉस्फोरिका)

हिन्दी नाम: फॉस्फेट ऑफ मैग्नीशियम / मैग्नीशियम का फॉस्फेट
संक्षिप्त नाम: Mag Phos


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🔹 प्रकृति (Nature):

तंत्रिकाओं (Nerves) और मांसपेशियों (Muscles) की स्निग्धता, संकुचन व शिथिलता का नियंत्रक लवण।

स्नायविक दर्द, ऐंठन, मरोड़ और तत्काल आराम हेतु मुख्य औषधि।



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🔹 चारित्रिक लक्षण (Constitutional Traits):

अत्यंत संवेदनशील, तीव्र प्रतिक्रिया देने वाले व्यक्ति।

सिरदर्द, मासिक धर्म, उदरशूल आदि में तीव्र ऐंठन।

अत्यधिक थकान के बाद स्नायविक खिंचाव।



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🔹 सामान्य लक्षण (General Symptoms):

पेट या मांसपेशियों में ऐंठनयुक्त दर्द, जो गर्म चीज़ों से आराम पाता है।

सायटिका (sciatica), दाँत दर्द, मासिक धर्म में मरोड़।

आंतों की गैस से संबंधित पेटदर्द।



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🔹 समवर्ती लक्षण (Concomitant Symptoms):

आँखे फड़कना, चेहरा ऐंठना।

नींद में खिंचाव व झटके।

गैस की अधिकता के कारण हृदय धड़कन बढ़ जाना।



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🔹 अकट्य लक्षण (Keynotes / Guiding Symptoms):

दर्द ऐंठनयुक्त (cramping, spasmodic) हो और गर्म वस्तु या दबाव से राहत मिलती हो।

शरीर में कंपन, अकड़न, खिंचाव।

मासिक धर्म या स्नायविक रोगों के साथ दर्द।



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🔹 ह्वास-वृद्धि (Aggravation/Amelioration):

बिगड़ता है (Aggravation):

ठंडे हवा, पानी या खाद्य से

छूने से या अचानक हलचल से


सुधार होता है (Amelioration):

गर्म पानी, गर्म थैली से

हल्के दबाव व विश्राम से




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🔹 रोग संकेत (Indications):

पेट दर्द, दस्त, गैस के साथ मरोड़

मासिक धर्म में तीव्र दर्द व पीठदर्द

सायटिका, चेहरे या जबड़े में तंत्रिकाजन्य दर्द (neuralgia)

मांसपेशियों में खिंचाव (cramps)

रात को सोते समय हाथ-पाँव झटके



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🔹 तुलनात्मक औषधियाँ (Comparative Remedies):

Cuprum Met: ऐंठन अधिक गम्भीर व नीला पड़ना हो।

Colocynthis: जब ऐंठन दबाव से ठीक होती हो।

Chamomilla: दर्द के साथ चिड़चिड़ापन, बच्चों में।



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🔹 प्रयोग विधि (Dosage & Use):

6X शक्ति में 3 से 4 गोली दिन में 3 बार, या

ऐंठन के समय गर्म पानी में घोलकर हर 10 मिनट पर।



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🔹 ज्योतिषीय सम्बन्ध (Astrological Correlation):

ग्रह: मंगल व बुध — त्वरित तंत्रिकातंत्र व दर्द से जुड़ा ग्रह।

राशियाँ: मिथुन, कन्या, वृश्चिक

नक्षत्र: अश्विनी व मृगशिरा — तीव्र क्रियाशीलता व स्नायविक प्रतिक्रियाएँ।



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🔹 त्रिदोष सम्बन्ध (Dosha Relevance):

वात (Psychosis): प्रमुख — स्नायविक ऐंठन, मरोड़, गैस आदि वातजन्य रोगों में।

पित्त (Syphilis): जब मरोड़ जलन के साथ हो।

कफ (Psora): गौण — विशेष भूमिका नहीं।



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🔹 सावधानियाँ (Precautions):

बहुत अधिक ठंडी चीज़ों से बचें।

तीव्र दर्द में अन्य औषधियों की चिकित्सकीय सहायता लें।

बार-बार स्पास्टिक दर्द हो तो चिकित्सा जांच आवश्यक।

🔷 3. Natrum Muriaticum (नैट्रम म्यूरिएटिकम)

हिन्दी नाम: सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक का बायोकेमिक रूप)
संक्षिप्त नाम: Nat Mur


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🔹 प्रकृति (Nature):

शरीर में जल-संतुलन, कोशिकीय द्रव विनिमय और मानसिक वेदना से जुड़ी औषधि।

इसका मुख्य कार्य शरीर के तरल पदार्थों का वितरण एवं अवशोषण नियंत्रित करना है।



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🔹 चारित्रिक लक्षण (Constitutional Traits):

चुपचाप दुःख सहने वाले, पुराने मानसिक आघात को भीतर रखने वाले व्यक्ति।

अकेले में रोना, सार्वजनिक स्थान पर भावनाओं को न दिखाना।

अकसर पतले, कमज़ोर, अनाथ जैसा भाव, आत्मनिग्रह में रहने वाले।



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🔹 सामान्य लक्षण (General Symptoms):

नाक, होंठ, त्वचा — सब जगह सूखापन, फटना, दरारें।

धूप से सिरदर्द, गर्मी से बेचैनी, धूप के बाद थकान।

बाईं तरफ़ के
यह रहा Natrum Muriaticum (नैट्रम म्यूर) का पूर्ण विवरण — बायोकेमिक चिकित्सा के अनुसार:


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🔷 Natrum Muriaticum (नैट्रम म्यूरिएटिकम)

संक्षिप्त नाम: Nat Mur
हिंदी नाम: सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक का चिकित्सीय रूप)


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🔹 प्रकृति (Nature):

शरीर में तरल संतुलन, कोशिकीय जल-विनिमय, मानसिक पीड़ा व गुप्त भावनाओं को नियंत्रित करता है।

मानसिक अवसाद, आत्मनिग्रह, भावनात्मक आघात से पीड़ित व्यक्ति के लिए उपयुक्त।

यह औषधि सावधानीपूर्वक संयमित, गूढ़, अंतर्मुखी स्वभाव को संबोधित करती है।



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🔹 चारित्रिक लक्षण (Constitutional Traits):

मानसिक रूप से गंभीर, चुप रहने वाला, भावनात्मक पीड़ा सहन करने वाला।

अकेले में रोना पसंद करता है, सार्वजनिक रूप से भावना नहीं दिखाता।

पुराने दुःख, अपमान, या गुप्त प्रेम को भूल नहीं पाता।

शरीर सामान्यतः पतला, शुष्क त्वचा, कम रक्तवर्ण।

मानसिक उलझन के बावजूद अत्यंत बुद्धिमान और संवेदनशील।



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🔹 सामान्य लक्षण (General Symptoms):

धूप में सिरदर्द, तेज़ रोशनी व गर्मी सहन नहीं होती।

सूखापन — होंठ फटे, त्वचा दरकती है, आँखें जलती हैं।

स्नायविक दुर्बलता, बार-बार सर्दी-जुकाम, थकावट।

आँसू, पसीना और स्राव नमकीन।

भूख कम, पेट फूलना, कब्ज़।



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🔹 समवर्ती लक्षण (Concomitant Symptoms):

नींद में हड़बड़ाहट, स्वप्न में रोना, गिरना, मृत परिजनों के सपने।

गर्भाशय विकार, अनियमित मासिक धर्म, सिर दर्द के साथ उल्टी।

स्नायविक ऐंठन, सर्दी के साथ जुकाम-खांसी।



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🔹 अकाट्य लक्षण (Keynotes):

धूप से सिरदर्द जो दोपहर 10 से शाम 3 बजे के बीच बढ़ता है।

नमकीन आँसू, नमकीन स्राव, भावुकता और संकोच।

सिरदर्द जो बाल खोलने से कम होता है।



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🔹 ह्वास-वृद्धि (Aggravation / Amelioration):

ह्वास (Aggravation): सूरज, गर्मी, परिश्रम, भावनात्मक पीड़ा, रोने के बाद।

वृद्धि (Amelioration): एकांत, ठंडी हवा, सिर पर ठंडा पानी, रोने के बाद मानसिक हल्कापन।



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🔹 रोग संकेत (Indications):

क्रोनिक सिरदर्द, मानसिक अवसाद, गुप्त भावनात्मक तनाव।

पुनः-पुनः सर्दी-जुकाम, आँखों की जलन, शुष्कता।

गर्भाशय संबंधी समस्याएं, मासिक धर्म में गड़बड़ी, ल्यूकोरिया।

पुरानी दुर्बलता, स्नायविक थकान।



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🔹 तुलनात्मक औषधियाँ (Comparative Remedies):

औषधि तुलनात्मक लक्षण

Ignatia भावनात्मक पीड़ा परंतु अधिक प्रतिक्रियाशील; Nat Mur अधिक संयमी।
Sepia स्त्रियों की थकान व उदासीनता; पर Sepia में विरक्ति अधिक।
Phosphoric Acid मानसिक कमजोरी परंतु अधिक शांत व अनुत्तरदायी।



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🔹 प्रयोग विधि (Dosage):

6x शक्ति, 4-6 गोलियाँ दिन में 2–3 बार।

लंबे समय तक सेवन सुरक्षित है, विशेष रूप से मानसिक आघात व क्रोनिक शिकायतों में।



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🔹 ज्योतिषीय संबंध (Astrological Correlation):

चंद्रमा (Moon) और कर्क (Cancer) से संबंधित, भावनात्मक तरलता, जल तत्व में गड़बड़ी।

भावनात्मक पीड़ा वाले चंद्र दोष में उपयुक्त।

चंद्र-राहु दोष या चंद्र-शनि पीड़ा में मानसिक राहत हेतु सहायक।



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🔹 त्रिदोषिक दृष्टि से सम्बन्ध:

दोष प्रभाव

कफ (Psora) प्रमुख — सूखापन, सर्दी, भावनात्मक दबाव।
पित्त (Syphilis) माध्यमिक — धूप से बढ़ने वाले लक्षण।
वात (Psychosis) न्यूनतम — थकान व स्नायविक कमजोरी में भागीदारी।



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🔹 सावधानियाँ (Cautions):

अधिक मात्रा में नमक का सेवन इस औषधि के प्रभाव को कम कर सकता है।

उग्र भावनात्मक प्रतिक्रियाओं में Ignatia या Sepia का परीक्षण आवश्यक हो सकता है। 


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🔷 Natrum Phosphoricum (नैट्रम फॉस्फोरिकम)

संक्षिप्त नाम: Nat Phos
हिंदी नाम: सोडियम फॉस्फेट


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🔹 प्रकृति (Nature):

यह अम्लीयता (Acidity) को संतुलित करने वाली मुख्य बायोकेमिक औषधि है।

यह पाचन संस्थान के विकारों, अम्ल-क्षार असंतुलन, तथा स्नायु दुर्बलता से संबंधित रोगों में प्रभावी है।

यह औषधि चयापचय, स्नायु स्राव, और मानसिक तनाव के बाद की थकावट को नियंत्रित करती है।



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🔹 चारित्रिक लक्षण (Constitutional Traits):

अम्लीय प्रवृत्ति, तैलीय चेहरा, मोटापा या मांसलता, अधिक पसीना।

मानसिक तनाव या पढ़ाई के बाद कमजोरी, स्मरणशक्ति में कमी।

शारीरिक श्रम से अधिक मानसिक परिश्रम से थकान।



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🔹 सामान्य लक्षण (General Symptoms):

खट्टे डकार, खट्टी उल्टी, अम्ल-पित्त, एसिडिटी।

मल पीला, गंधयुक्त, चिकना — अम्लता के कारण।

त्वचा की खुजली, पीली परतदार त्वचा, अम्लयुक्त स्राव।

पेशियों में जकड़न, मांसपेशियों की थकावट।



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🔹 समवर्ती लक्षण (Concomitant Symptoms):

नींद में दाँत पीसना (Bruxism), बदबूदार गैस, गुदा में खुजली।

कष्टप्रद पीले श्लेष्मा के साथ श्वास संबंधी रोग।

बच्चों में अम्लीय दूध के कारण अपच, भूख की कमी।



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🔹 अकाट्य लक्षण (Keynotes):

खट्टा डकार, खट्टी उल्टी, अम्ल-पित्त के स्पष्ट संकेत।

Bruxism (दाँत पीसना) — विशेषतः बच्चों में।

नींद के बाद भी थकावट, मानसिक बोझ के बाद कमजोरी।



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🔹 ह्वास-वृद्धि (Aggravation / Amelioration):

ह्वास (Aggravation): अम्लीय आहार, दूध, अधिक पढ़ाई या मानसिक श्रम।

वृद्धि (Amelioration): क्षारीय भोजन, आराम, ताजगी।



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🔹 रोग संकेत (Indications):

खट्टी डकार, अम्लपित्त, भोजन के बाद पेट फूलना।

स्नायु दुर्बलता, थकावट, शारीरिक ऊर्जा की कमी।

त्वचा रोग — पीली खुजलीयुक्त परतें।

बच्चों में पाचन विकार, Worms से जुड़ी खुजली।



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🔹 तुलनात्मक औषधियाँ (Comparative Remedies):

औषधि तुलनात्मक लक्षण

Natrum Mur मानसिक दुख, शुष्कता — Nat Phos में अम्लता मुख्य।
Calcarea Phos हड्डी व वृद्धि संबंधी; Nat Phos में अम्लीयता व पाचन केंद्रित।
Nux Vomica (Homoeo) अम्लपित्त व चिड़चिड़ा स्वभाव — अधिक तीव्र। Nat Phos सौम्य व दीर्घकालिक।



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🔹 प्रयोग विधि (Dosage):

6x शक्ति, 4–6 गोलियाँ दिन में 2 से 3 बार।

बच्चों को नींद में दाँत पीसने पर रात्रि में देने से लाभ।



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🔹 ज्योतिषीय संबंध (Astrological Correlation):

बुध (Mercury) से संबंधित — पाचन शक्ति, स्नायु संतुलन, बौद्धिक थकावट।

कन्या (Virgo) राशि — आंतों और तंत्रिका पाचन क्रिया से संबंध।



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🔹 त्रिदोषिक दृष्टि से संबंध:

दोष प्रभाव

पित्त (Syphilis) प्रमुख — अम्लता, एसिडिटी।
कफ (Psora) सहायक — श्लेष्मा व त्वचा रोग।
वात (Psychosis) न्यून — स्नायु कमजोरी।



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🔹 सावधानियाँ (Cautions):

अम्लीय भोजन व दूध से परहेज रखें जब तक सुधार न हो।

अन्य क्षारीय बायोकेमिक औषधियों के साथ समन्वय हो।

स्थायी अम्लपित्त में आहार सुधार आवश्यक। 


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🔷 Natrum Sulphuricum (नैट्रम सल्फ)

संक्षिप्त नाम: Nat Sulph
हिंदी नाम: सोडियम सल्फेट


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🔹 प्रकृति (Nature):

यह शरीर से अतिरिक्त जल, विषाक्तता (toxins), और पित्त को बाहर निकालने वाली मुख्य औषधि है।

यकृत (Liver), पित्ताशय (Gall Bladder), और त्वचा से संबंधित समस्याओं में प्रभावी।

यह नम वातावरण या आर्द्रता से बिगड़ने वाले रोगों में विशिष्ट है।



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🔹 चारित्रिक लक्षण (Constitutional Traits):

हरा-पीला चेहरा, लिवर बड़ा, आलस्य, आंतरिक भारीपन।

गीले मौसम या ठंडी आर्द्रता में रोग बढ़ना।

मानसिक उदासी, निराशा, मृत्यु की कामना।



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🔹 सामान्य लक्षण (General Symptoms):

हरापन लिए पीलापन, खासकर आँखों के चारों ओर।

सुबह दस्त, गाढ़ा, चिपचिपा हरा मल।

पित्तविकार, लिवर की सुस्ती, त्वचा की पित्तजन्य खुजली।

गीले मौसम में अस्थमा या त्वचा रोगों की उग्रता।



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🔹 समवर्ती लक्षण (Concomitant Symptoms):

पेट में भारीपन, भूख की कमी, हरा दस्त, मधुमेह में प्यास।

शरीर में जल जमाव (edema), विशेषकर पैरों में।

सिरदर्द जो सिर के पीछे से उठकर आँखों में जाता है।



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🔹 अकाट्य लक्षण (Keynotes):

सुबह का हरा, चिपचिपा दस्त।

नम या वर्षा के मौसम में रोगों की उग्रता।

हरापन लिए पीलापन (greenish yellow hue) शरीर या आंखों में।



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🔹 ह्वास-वृद्धि (Aggravation / Amelioration):

ह्वास (Aggravation): वर्षा ऋतु, ठंडा व आर्द्र वातावरण।

वृद्धि (Amelioration): गर्मी व सूखा वातावरण, खुली हवा।



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🔹 रोग संकेत (Indications):

जिगर व पित्त विकार (Liver sluggishness, Biliousness)।

दमा जो बारिश में बढ़े, त्वचा रोग जो नम मौसम में उभरें।

सायटिका, गठिया, मधुमेह से सम्बंधित शिकायतें।

सिरदर्द, मानसिक विषाद।



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🔹 तुलनात्मक औषधियाँ (Comparative Remedies):

औषधि तुलनात्मक लक्षण

Chelidonium लिवर व पित्त पर असर — Nat Sulph में अधिक नम-वातावरण संबंधी लक्षण।
Thuja आर्द्र मौसम में त्वचा रोग — Nat Sulph में आंतरिक पित्त विषाक्तता अधिक।
Pulsatilla बदलाव व नमी में बढ़ने वाले रोग — Nat Sulph में लिवर-केंद्रित विषनाशक गुण।



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🔹 प्रयोग विधि (Dosage):

6x शक्ति में, 4–6 गोलियाँ दिन में 2–3 बार।

बच्चों व वृद्धों के लिए कम मात्रा से प्रारंभ करें।



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🔹 ज्योतिषीय सम्बन्ध (Astrological Correlation):

बृहस्पति (Jupiter) से संबंधित — लिवर, पाचन, दया भावना।

धनु (Sagittarius), मीन (Pisces) राशियाँ — जल तत्व, विषनाशक शक्ति से संबंध।



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🔹 त्रिदोषिक दृष्टि से संबंध:

दोष प्रभाव

पित्त (Syphilis) मुख्य — लिवर, पित्त, विषाक्तता।
कफ (Psora) सहायक — दमा, त्वचा रोग।
वात (Psychosis) न्यून — हल्के स्नायविक विकार संभव।



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🔹 सावधानियाँ (Cautions):

अधिक ठंडी व आर्द्र जगहों से परहेज।

अन्य लिवर-उत्तेजक औषधियों के साथ विवेक से प्रयोग करें।

लंबे रोगों में नियमित अंतराल पर प्रयोग करें।



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🔷 Silicea (सिलिशिया)

संक्षिप्त नाम: Sil.
हिंदी नाम: सिलिका, बालू का चूर्ण (Silicic acid oxide)


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🔹 प्रकृति (Nature):

यह शरीर में छिपे विकारों (सूक्ष्म रोगों) को बाहर निकालने वाली एक गहन शुद्धिकारी औषधि है।

यह शरीर की निर्माणात्मक, संयोजनात्मक, और उत्सर्जनात्मक क्षमता को सुधारती है।

कमजोर, दुर्बल, रक्तहीन प्रकृति वाले व्यक्तियों के लिए उपयुक्त।



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🔹 चारित्रिक लक्षण (Constitutional Traits):

पतला, शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर, आत्म-विश्वास की कमी।

अत्यधिक पसीना, विशेषतः पैरों में दुर्गंधयुक्त, ठंडा व चिपचिपा पसीना।

भीतर छुपे फोड़े, गाँठ, पसयुक्त विकार – बाहर निकालने की क्षमता।

मानसिक संकोच, कार्य प्रारंभ करने से डरना।



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🔹 सामान्य लक्षण (General Symptoms):

फोड़े, नासूर, गांठ, फिस्टुला – जिनमें मवाद बनता है।

हड्डियों में कमजोरी, हड्डियों की टीबी, दाँत देर से निकलना।

पसीना आते ही कमजोरी बढ़ना।

बच्चों में मस्तिष्क का विकास धीमा, सिर बड़ा, शरीर कमजोर।



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🔹 समवर्ती लक्षण (Concomitant Symptoms):

पस या मवाद बनने की प्रवृत्ति, नाखूनों का बढ़कर टूटना या मरोड़ जाना।

आँखों के कोनों में पस, पुराने नेत्र रोग।

मानसिक थकावट, स्मरणशक्ति की कमी।



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🔹 अकाट्य लक्षण (Keynotes):

शरीर से विकारों को बाहर निकालने की प्रवृत्ति।

पैरों में दुर्गंधयुक्त, ठंडा पसीना।

मवाद युक्त रोग, फोड़े, फिस्टुला।

डरपोक स्वभाव, हिम्मत की कमी।



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🔹 ह्वास-वृद्धि (Aggravation / Amelioration):

ह्वास: ठंडी हवा, रात्रि, पूर्णिमा के आसपास, मानसिक श्रम।

वृद्धि: गर्मी, ढकने पर, गर्म खाद्य से।



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🔹 रोग संकेत (Indications):

फोड़े, फुंसियाँ, गांठें, नासूर, हड्डी के रोग (ओस्टियोमायलाइटिस), फिस्टुला।

बच्चों में दाँत देर से निकलना, सिर का पानी, मानसिक मंदता।

पुराने नेत्र रोग (नेत्र शलाका)।

नाखूनों के विकार, सिर दर्द जो पीछे से आंखों तक जाए।



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🔹 तुलनात्मक औषधियाँ (Comparative Remedies):

औषधि तुलनात्मक विशेषता

Hepar Sulph पस बनने की शुरुआत — Silicea में पस बाहर निकालने की क्षमता अधिक।
Calcarea Phos हड्डियों की वृद्धि — Silicea में हड्डियों की शुद्धिकरण व दृढ़ता पर अधिक प्रभाव।
Merc Sol मवाद युक्त ग्रंथियाँ — Silicea में शुद्धिकरण गहन व धीरे-धीरे।



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🔹 प्रयोग विधि (Dosage):

6x शक्ति में, 4–6 गोलियाँ दिन में 2 या 3 बार।

लंबे चलने वाले मवादयुक्त रोगों में निरंतर व नियमित सेवन।



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🔹 ज्योतिषीय सम्बन्ध (Astrological Correlation):

शनि (Saturn) से सम्बन्ध — गहराई, संकोच, विकारों का निष्कासन, अस्थि रोग।

राशियाँ: मकर (Capricorn), कुम्भ (Aquarius) — मानसिक अनुशासन व मंद गति की प्रवृत्ति।



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🔹 त्रिदोषिक दृष्टि से संबंध:

दोष प्रभाव

वात (Psychosis) मुख्य — अस्थि, तंत्रिका व संकोचजन्य लक्षण।
कफ (Psora) सहायक — शुद्धिकरण, स्राव।
पित्त (Syphilis) न्यून — गरमी से लाभ।



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🔹 सावधानियाँ (Cautions):

तीव्र संक्रमण की स्थिति में मवाद को बाहर निकालते समय फोड़ा फूटने से पहले चिकित्सकीय निगरानी रखें।

यदि शरीर बहुत कमजोर हो गया हो, तो Ferrum Phos या Calc Phos के साथ प्रयोग करें।

अधिक कमजोरी वाले रोगियों में प्रारंभ में लक्षण उभर सकते हैं।



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🔷 Kali Muriaticum (काली म्यूर)

संक्षिप्त नाम: Kali Mur.
हिंदी नाम: पोटैशियम क्लोराइड


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🔹 प्रकृति (Nature):

शरीर के श्लेष्मल झिल्लियों (Mucous membranes) और श्वेत रक्तकणों (White Corpuscles) की संतुलनकारी औषधि।

यह श्लेष्मा (Mucus), स्राव (Secretion), ग्रंथि-प्रणाली (Glandular System) के गाढ़ेपन और जमे हुए श्लेष्मा (White Discharge/Coating) को पुनः संतुलित करती है।

विशेष रूप से सफेद जमाव (White Coating) और श्लेष्मयुक्त रोगों में।



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🔹 चारित्रिक लक्षण (Constitutional Traits):

शरीर में चिपचिपा, गाढ़ा सफेद स्राव, नाक, गला, फेफड़े, पाचन तंत्र में जमाव की प्रवृत्ति।

रोगी सामान्यतः शांत, स्थिर, किंतु अति-श्लेष्मजन्य प्रकृति का होता है।

गिल्टनस डिस्चार्ज (glandular swelling) और पेल गाढ़ा म्यूकस।



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🔹 सामान्य लक्षण (General Symptoms):

सफेद श्लेष्म, सफेद थूक, सफेद खांसी का बलगम।

कान बहना (Otorrhoea) जिसमें सफेद स्राव हो।

टॉन्सिल की सूजन, श्वास नली में सफेद जमाव।

डेंगू, वायरल, टायफाइड के बाद शारीरिक कमजोरी और सफेद कोटिंग वाले विकार।

आंखों की पलकों पर सफेद स्राव।

मलद्वार या जननेन्द्रिय से सफेद गाढ़ा स्त्राव।



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🔹 समवर्ती लक्षण (Concomitant Symptoms):

गले की ग्रंथियों की सूजन के साथ सफेद लेप।

जीभ पर सफेद परत।

फेफड़ों में जमाव, श्वास में खरखराहट।

पाचन मंद, सफेद मलबद्ध मल।

कब्ज में सफेद श्लेष्मयुक्त मल।



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🔹 अकाट्य लक्षण (Keynotes):

सफेद श्लेष्म (White discharge) — चाहे वह गले, फेफड़े, कान, आंख, नाक, जननेन्द्रिय, या मल मार्ग से हो।

ग्रंथियों की सूजन, विशेषतः टॉन्सिल, थायरॉयड आदि।

जीभ पर सफेद परत।

शांत, ठंडे स्वभाव वाले रोगी।



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🔹 ह्वास-वृद्धि (Aggravation / Amelioration):

ह्वास: ठंडी नमी वाली जगह, ठंडी हवा, अधिक शारीरिक निष्क्रियता।

वृद्धि: गर्मी, गर्म पानी से सिंकाई, गर्म खाद्य।



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🔹 रोग संकेत (Indications):

टॉन्सिलाइटिस, श्वास में सफेद बलगम, पांडु, कान का बहना (white discharge),

डेंगू व ज्वर के बाद की कमजोरी, कब्ज में सफेद श्लेष्म, फेफड़ों की सफेदीयुक्त सूजन।

जीभ पर सफेद लेप, ल्यूकोरिया (white discharge in females), सफेद फुंसियाँ।



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🔹 तुलनात्मक औषधियाँ (Comparative Remedies):

औषधि तुलनात्मक विशेषता

Ferrum Phos रोग की प्रारंभिक स्थिति — जबकि Kali Mur में श्लेष्म जमने की स्थिति।
Kali Sulph पीला व चिपचिपा स्राव — Kali Mur में सफेद और गाढ़ा।
Calc Fluor सख्त व गांठदार जमाव — Kali Mur में मुलायम व चिपचिपा सफेद श्लेष्म।



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🔹 प्रयोग विधि (Dosage):

6x शक्ति में, 4–6 गोलियाँ दिन में 3 बार।

ज्वर के बाद श्लेष्मयुक्त कमजोरी में विशेष लाभ।



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🔹 ज्योतिषीय सम्बन्ध (Astrological Correlation):

चन्द्र (Moon) से संबंध — श्लेष्म, तरलता, स्राव का नियंत्रण।

राशि: कर्क (Cancer), मीन (Pisces) — तरल संतुलन, जल-तत्व की प्रधानता।



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🔹 त्रिदोषिक दृष्टि से संबंध:

दोष प्रभाव

कफ (Psora) मुख्य दोष — श्लेष्मजन्य रोग, जमाव, स्राव।
पित्त (Syphilis) गौण — जलन यदि हो, तो अन्य औषधियाँ मिलाई जाती हैं।
वात (Psychosis) न्यून प्रभाव।



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🔹 सावधानियाँ (Cautions):

अत्यधिक ठंडी प्रकृति वाले रोगियों में अन्य गर्म औषधियों के साथ संतुलन रखें।

यदि पीला या हरा स्राव हो, तो Kali Mur उपयुक्त नहीं — Kali Sulph या अन्य औषधि चुनें।

लंबे समय तक एकल प्रयोग से पहले लक्षण पुष्टि करें। 


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🔷 Kali Phosphoricum (काली फॉस)

संक्षिप्त नाम: Kali Phos.
हिंदी नाम: पोटैशियम फॉस्फेट


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🔹 प्रकृति (Nature):

यह तंत्रिका तंत्र (Nervous System) की मुख्य बायोकेमिक औषधि है।

मस्तिष्क, मेरुरज्जु, मानसिक संतुलन और स्नायुबल को बनाए रखने में अत्यंत उपयोगी।

थकावट, मानसिक तनाव, स्मृति दुर्बलता, अनिद्रा, डर, शारीरिक-मानसिक अवसाद आदि के लिए।



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🔹 चारित्रिक लक्षण (Constitutional Traits):

मानसिक व शारीरिक रूप से थका हुआ रोगी।

चिड़चिड़ापन, मन में भय, सामाजिक संपर्क से बचाव।

कमजोरी इतनी कि बात करने में भी थकान लगती है।

मस्तिष्क की शक्ति में ह्रास, कार्य में मन न लगना।



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🔹 सामान्य लक्षण (General Symptoms):

मानसिक तनाव, परीक्षा भय, स्मरण शक्ति में कमी।

नींद कम आना, विचारों का बोझ, बुरे सपने।

स्नायु दुर्बलता, कंपन, हाथ-पैर में थकान।

सिर भारी, बात करते-करते थक जाना।

भूख में कमी, शारीरिक दुर्बलता, चक्कर।



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🔹 समवर्ती लक्षण (Concomitant Symptoms):

स्नायविक थकावट के साथ कब्ज या दस्त।

मानसिक थकावट के कारण भूख की कमी।

सिरदर्द जो मानसिक श्रम से बढ़े।

परीक्षा या जिम्मेदारी से पहले कमजोरी, पेट गड़बड़।



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🔹 अकाट्य लक्षण (Keynotes):

मानसिक परिश्रम या चिंता के कारण उत्पन्न रोग।

थकावट, स्मृति दोष, चिड़चिड़ापन।

नींद की कमी, डरावने सपने।

मानसिक और शारीरिक थकावट साथ-साथ।



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🔹 ह्वास-वृद्धि (Aggravation / Amelioration):

ह्वास: मानसिक श्रम, चिंता, रात में।

वृद्धि: आराम, नींद, शांत वातावरण।



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🔹 रोग संकेत (Indications):

स्नायविक दुर्बलता, न्यूरोस्टेनिया, अवसाद।

विद्यार्थियों की परीक्षा की थकान व तनाव।

अनिद्रा, डर, शारीरिक कंपन, नींद में बोलना।

कमजोरी से उत्पन्न दस्त या कब्ज।



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🔹 तुलनात्मक औषधियाँ (Comparative Remedies):

औषधि तुलनात्मक गुण

Ferrum Phos प्रारंभिक कमजोरी, स्फूर्ति की कमी — किंतु तंत्रिका दोष में नहीं।
Calc Phos मांसपेशीय कमजोरी, विकास धीमा — परंतु मानसिक थकावट नहीं।
Gelsemium (होम्योपैथिक) स्नायु दुर्बलता, परीक्षा भय — परंतु बायोकेमिक में काली फॉस श्रेष्ठ।



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🔹 प्रयोग विधि (Dosage):

6x शक्ति में, दिन में 3–4 बार 4–6 गोलियाँ।

स्नायविक कमजोरी में 1 महीने तक लगातार उपयोग सुरक्षित।



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🔹 ज्योतिषीय सम्बन्ध (Astrological Correlation):

बुध (Mercury) — तंत्रिकातंत्र, स्मरण शक्ति, मानसिक संतुलन।

शनि (Saturn) — दीर्घकालिक कमजोरी, अवसाद, सोच में जड़ता।

राशि: कन्या (Virgo), मिथुन (Gemini)।



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🔹 त्रिदोषिक संबंध (Relation to Tridosha):

दोष प्रभाव

वात (Psychosis) प्रधान दोष — स्नायविक कमजोरी।
कफ (Psora) सहयोगी दोष — शारीरिक जड़ता।
पित्त (Syphilis) गौण — मानसिक तनाव व नींद की समस्या में वृद्धि।



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🔹 सावधानियाँ (Cautions):

मानसिक रोग यदि उग्र या उन्मादी हों, तो केवल काली फॉस पर्याप्त नहीं — अन्य सहायक औषधियाँ आवश्यक।

यदि थकावट के साथ शारीरिक पीड़ा हो (muscle pains), तो Calc Phos या Ferrum Phos जोड़ें।

अत्यधिक मानसिक रोगों में, होम्योपैथिक उच्च शक्ति की औषधि के साथ संतुलन आवश्यक।


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🔷 Kali Sulphuricum (काली सल्फ)

संक्षिप्त नाम: Kali Sulph.
हिंदी नाम: पोटैशियम सल्फेट


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🔹 प्रकृति (Nature):

यह त्वचा, श्लेष्मा झिल्लियों और कोशिकीय विनिमय की मुख्य औषधि है।

कोशिका से कोशिका में ऑक्सीजन के संचरण को नियंत्रित करती है।

पीली श्लेष्मा, त्वचा रोग, पुराना नजला, पुराना बुखार, ब्रोंकाइटिस, श्वास रोगों में उपयोगी।



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🔹 चारित्रिक लक्षण (Constitutional Traits):

धीमी प्रवृत्ति वाला, सुस्त, उदासीन रोगी।

पुराना कफ, लगातार नजला, बलगम पीला और चिपचिपा।

शाम को तकलीफ़ें बढ़ती हैं।

त्वचा पर पीले धब्बे, रूसी, खुजली।

बच्चे जिनका बुखार शाम को आता हो।



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🔹 सामान्य लक्षण (General Symptoms):

शाम को बुखार का आना, रात को खाँसी बढ़ना।

बलगम पीला, चिपचिपा, विशेषकर फेफड़ों और श्वासनली में।

सांस लेने में कठिनाई (especially in evening)।

त्वचा पर चकत्ते, पपड़ीदार स्किन डिज़ीज़।

रूसी, एक्ज़िमा, त्वचा का झड़ना।



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🔹 समवर्ती लक्षण (Concomitant Symptoms):

श्वसन रोगों के साथ त्वचा की समस्याएं।

पीले श्लेष्मा के साथ ब्रोन्काइटिस या अस्थमा।

शाम को बढ़ने वाली थकावट और कमजोरी।



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🔹 अकाट्य लक्षण (Keynotes):

पीला स्राव (yellow discharges) — नाक, गला, फेफड़े, त्वचा से।

शाम को लक्षणों की वृद्धि।

चिपचिपा, पीला बलगम।

ऑक्सीजन के अभाव से बनी स्थिति — ऊतक में पोषण की कमी।



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🔹 ह्वास-वृद्धि (Aggravation / Amelioration):

ह्वास: शाम को, गर्म कमरे में, बंद वातावरण में।

वृद्धि: खुली हवा में, सुबह, ठंडी हवा में।



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🔹 रोग संकेत (Indications):

पुराना ब्रोन्काइटिस, अस्थमा जिसमें पीला बलगम हो।

पुराना ज्वर जो शाम को लौटे।

त्वचा रोग जैसे डैंड्रफ, एक्ज़िमा, पपड़ीदार चकत्ते।

क्रोनिक सर्दी-जुकाम, साइनस का भराव।

पुरानी आँख या कान से पीली मवाद।



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🔹 तुलनात्मक औषधियाँ (Comparative Remedies):

औषधि तुलनात्मक गुण

Ferrum Phos प्रारंभिक बुखार या श्वसन संक्रमण — परंतु बलगम सफेद।
Kali Mur चिपचिपा सफेद बलगम — परंतु काली सल्फ में बलगम पीला।
Calc Sulph पीले मवादयुक्त फोड़े — परंतु काली सल्फ पुरानी अवस्था में।



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🔹 प्रयोग विधि (Dosage):

6x शक्ति में, दिन में 3–4 बार 4–6 गोलियाँ।

क्रोनिक अस्थमा, ब्रोन्काइटिस, त्वचा रोग में 1–3 महीने तक चल सकता है।



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🔹 ज्योतिषीय सम्बन्ध (Astrological Correlation):

सूर्य (Sun) — त्वचा, ऊष्मा, उत्सर्जन, संक्रमण।

मंगल (Mars) — सूजन, फोड़े, रक्तस्राव।

राशियाँ: सिंह (Leo), मेष (Aries), कर्क (Cancer)।



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🔹 त्रिदोषिक संबंध (Relation to Tridosha):

दोष प्रभाव

पित्त (Syphilis) प्रधान — गर्मी, शाम को वृद्धि, मवाद, सूजन।
कफ (Psora) सहयोगी — बलगम, त्वचा के रोग।
वात (Psychosis) गौण — अस्थमा में श्वसन कठिनाई के रूप में।



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🔹 सावधानियाँ (Cautions):

तीव्र संक्रमण (acute inflammation) में अकेले प्रयोग पर्याप्त नहीं, Ferrum Phos साथ दें।

यदि बलगम सफेद हो, तो Kali Mur उपयुक्त है, न कि Kali Sulph।

पुराना अस्थमा, यदि रात में बढ़े तो Kali Phos या Mag Phos की जरूरत हो सकती है। 

🔷 Kali Sulphuricum (काली सल्फ)
संक्षिप्त नाम: Kali Sulph.
हिंदी नाम: पोटैशियम सल्फेट

🔹 प्रकृति (Nature):
यह त्वचा, श्लेष्मा झिल्लियों और कोशिकीय विनिमय की मुख्य औषधि है।
कोशिका से कोशिका में ऑक्सीजन के संचरण को नियंत्रित करती है।
पीली श्लेष्मा, त्वचा रोग, पुराना नजला, पुराना बुखार, ब्रोंकाइटिस, श्वास रोगों में उपयोगी।
🔹 चारित्रिक लक्षण (Constitutional Traits):
धीमी प्रवृत्ति वाला, सुस्त, उदासीन रोगी।
पुराना कफ, लगातार नजला, बलगम पीला और चिपचिपा।
शाम को तकलीफ़ें बढ़ती हैं।
त्वचा पर पीले धब्बे, रूसी, खुजली।
बच्चे जिनका बुखार शाम को आता हो।
🔹 सामान्य लक्षण (General Symptoms):
शाम को बुखार का आना, रात को खाँसी बढ़ना।
बलगम पीला, चिपचिपा, विशेषकर फेफड़ों और श्वासनली में।
सांस लेने में कठिनाई (especially in evening)।
त्वचा पर चकत्ते, पपड़ीदार स्किन डिज़ीज़।
रूसी, एक्ज़िमा, त्वचा का झड़ना।
🔹 समवर्ती लक्षण (Concomitant Symptoms):
श्वसन रोगों के साथ त्वचा की समस्याएं।
पीले श्लेष्मा के साथ ब्रोन्काइटिस या अस्थमा।
शाम को बढ़ने वाली थकावट और कमजोरी।
🔹 अकाट्य लक्षण (Keynotes):
पीला स्राव (yellow discharges) — नाक, गला, फेफड़े, त्वचा से।
शाम को लक्षणों की वृद्धि।
चिपचिपा, पीला बलगम।
ऑक्सीजन के अभाव से बनी स्थिति — ऊतक में पोषण की कमी।
🔹 ह्वास-वृद्धि (Aggravation / Amelioration):
ह्वास: शाम को, गर्म कमरे में, बंद वातावरण में।
वृद्धि: खुली हवा में, सुबह, ठंडी हवा में।
🔹 रोग संकेत (Indications):
पुराना ब्रोन्काइटिस, अस्थमा जिसमें पीला बलगम हो।
पुराना ज्वर जो शाम को लौटे।
त्वचा रोग जैसे डैंड्रफ, एक्ज़िमा, पपड़ीदार चकत्ते।
क्रोनिक सर्दी-जुकाम, साइनस का भराव।
पुरानी आँख या कान से पीली मवाद।
🔹 तुलनात्मक औषधियाँ (Comparative Remedies):
औषधि तुलनात्मक गुण
Ferrum Phos प्रारंभिक बुखार या श्वसन संक्रमण — परंतु बलगम सफेद।
Kali Mur चिपचिपा सफेद बलगम — परंतु काली सल्फ में बलगम पीला।
Calc Sulph पीले मवादयुक्त फोड़े — परंतु काली सल्फ पुरानी अवस्था में।
🔹 प्रयोग विधि (Dosage):
6x शक्ति में, दिन में 3–4 बार 4–6 गोलियाँ।
क्रोनिक अस्थमा, ब्रोन्काइटिस, त्वचा रोग में 1–3 महीने तक चल सकता है।
🔹 ज्योतिषीय सम्बन्ध (Astrological Correlation):
सूर्य (Sun) — त्वचा, ऊष्मा, उत्सर्जन, संक्रमण।
मंगल (Mars) — सूजन, फोड़े, रक्तस्राव।
राशियाँ: सिंह (Leo), मेष (Aries), कर्क (Cancer)।
🔹 त्रिदोषिक संबंध (Relation to Tridosha):
दोष प्रभाव
पित्त (Syphilis) प्रधान — गर्मी, शाम को वृद्धि, मवाद, सूजन।
कफ (Psora) सहयोगी — बलगम, त्वचा के रोग।
वात (Psychosis) गौण — अस्थमा में श्वसन कठिनाई के रूप में।
🔹 सावधानियाँ (Cautions):
तीव्र संक्रमण (acute inflammation) में अकेले प्रयोग पर्याप्त नहीं, Ferrum Phos साथ दें।
यदि बलगम सफेद हो, तो Kali Mur उपयुक्त है, न कि Kali Sulph।
पुराना अस्थमा, यदि रात में बढ़े तो Kali Phos या Mag Phos की जरूरत हो सकती है।
अब यदि आप चाहें तो अगली औषधि Magnesia Phosphorica (मैग फॉस) का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया जा सकता है।

उत्तर दें — “हाँ”

यह रहा Magnesia Phosphorica (मैग्नेशिया फॉस्फोरिका) का विस्तृत विवरण:


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🔷 Magnesia Phosphorica (मैग्नेशिया फॉस्फोरिका)

संक्षिप्त नाम: Mag Phos
हिंदी नाम: मैग्नेशियम फॉस्फेट


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🔹 प्रकृति (Nature):

तंत्रिकाओं और माँसपेशियों की ऐंठन और संकुचन को दूर करने वाली औषधि।

मांसपेशियों के खिंचाव, ऐंठन, और तंत्रिका संबंधी दर्दों में उपयोगी।

रक्त संचार को बेहतर बनाती है और तनाव को कम करती है।



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🔹 चारित्रिक लक्षण (Constitutional Traits):

संवेदनशील, घबराने वाला, जल्दी डरे और चिंतित व्यक्ति।

दर्द और ऐंठन से पीड़ित।

दर्द और ऐंठन गर्मी से ठीक होती है, ठंडी चीजें बढ़ाती हैं।

स्त्रियाँ मासिक पीड़ा (dysmenorrhea) में अक्सर इस औषधि की आवश्यकता होती है।



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🔹 सामान्य लक्षण (General Symptoms):

मांसपेशियों और नसों में तेज ऐंठन।

विशेषकर पेट, पीठ, गर्दन और सिर की मांसपेशियों में दर्द।

गैस, पेट फूलना, पेट में ऐंठन।

मासिक पीड़ा जिसमें दर्द गर्म सिकाई से कम होता है।

घबराहट, चिंता, नींद में खलल।



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🔹 समवर्ती लक्षण (Concomitant Symptoms):

दर्द के समय हल्की गर्म सिकाई से राहत मिलना।

दर्द अचानक आने वाला और जाने वाला (spasmodic)।

थकावट और चिड़चिड़ापन।



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🔹 अकाट्य लक्षण (Keynotes):

दर्द में ऐंठन (cramping pains) जो गर्म सिकाई से ठीक हो।

दर्द के साथ मन की बेचैनी और घबराहट।

दर्द गैस या मासिक धर्म संबंधी हो सकते हैं।

पेट की ऐंठन, जो गर्म सिकाई से राहत देती है।



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🔹 ह्वास-वृद्धि (Aggravation / Amelioration):

ह्वास: ठंडा भोजन, ठंडी हवा, शारीरिक व्यायाम से।

वृद्धि: ठंडी चीजें और हवा।

शांति: गर्म सिकाई, विश्राम, दबाव।



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🔹 रोग संकेत (Indications):

मासिक पीड़ा (dysmenorrhea)।

पेट की ऐंठन और गैस।

मांसपेशियों की ऐंठन, मांसपेशियों में दर्द।

तंत्रिका संबंधी ऐंठन जैसे सायटिका।

तनाव और घबराहट से जुड़ी समस्याएँ।



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🔹 तुलनात्मक औषधियाँ (Comparative Remedies):

औषधि तुलनात्मक गुण

Colocynth पेट दर्द, ऐंठन — परंतु अधिक तीव्र और मानसिक बेचैनी ज्यादा।
Cuprum ऐंठन, मांसपेशियों में दर्द — परंतु अधिक कड़वा और नाड़ी तेज।
Calc Phos मांसपेशियों के दर्द — परंतु Mag Phos की तरह गर्म सिकाई से राहत कम।



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🔹 प्रयोग विधि (Dosage):

6x या 12x शक्ति में, दिन में 3-4 बार 4-6 गोलियाँ।

मासिक पीड़ा और मांसपेशी ऐंठन के लिए नियमित सेवन।



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🔹 ज्योतिषीय सम्बन्ध (Astrological Correlation):

बुध (Mercury) — तंत्रिका तंत्र, विचारधारा, और मांसपेशियों का नियंत्रण।

शनि (Saturn) — कठोरता, ऐंठन, तथा लंबी अवधि की थकावट।

राशियाँ: कन्या (Virgo), मिथुन (Gemini), और मकर (Capricorn)।



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🔹 त्रिदोषिक संबंध (Relation to Tridosha):

दोष प्रभाव

वात (Psychosis) प्रमुख — तंत्रिका और मांसपेशियों की ऐंठन।
पित्त (Syphilis) गौण — गर्मी से संबंधित लक्षण।
कफ (Psora) सहयोगी — दर्द और सूजन में।



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🔹 सावधानियाँ (Cautions):

अत्यधिक ठंडी चीजों से बचें।

ऐंठन के कारण अगर कोई सूजन या चोट हो, तो उपयुक्त चिकित्सकीय जाँच आवश्यक।

लंबी अवधि में उपयोग से डॉक्टर की सलाह आवश्यक। 








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