शुक्रवार, 23 सितंबर 2022

मैं शैलज हूँ

मैं शैलज हूँ ।

मैं शैलज हूँ,जड़ पत्थर हूँ,
मैं शिलाजीत कहलाता हूँ ।
औरों के दुःख दर्दों को-
मैं सहज हजम कर जाता हूँ ।।
मैं शैलज हूँ..........।

मैं शैल खण्ड, मैं शैल पुत्र,
शैलजा तनय, मैं शैलज हूँ।
मैं शैल श्रृंग के कण-कण में,
पर्वत कण शैलज कण हूँ।।
मैं शैलज हूँ.........।

मैं शैल, गुफा, नदी, नद, निर्झर,
मैं झील , सरित, सर ,डाबर हूँ।
मैं वन,उपवन, फल,फूल, कुंज,
दर्रा घाटी का पत्थर हूँ ।।
मैं शैलज हूँ.......।

मैं सृष्टि का अति सूक्ष्म कण,
मैं जड़-चेतन कहलाता हूँ ।
मैं ही आकृति, मैं पृष्ठभूमि,
स्रष्टा का एक उपक्रम हूँ ।।
मैं शैलज हूँ...........।
(क्रमशः)

प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय ।


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